Sunday, December 12, 2021

वकीलों पर दर्ज मुकदमों पर इलाहाबाद हाई कोर्ट सख्त, कहा- वकालत के पेशे को बदनाम नहीं होने देंगे



इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने कहा कि ऐसा लगता है कि कुछ वकीलों का संगठित समूह धन उगाही मनी लांड्रिंग व ब्लैकमेलिंग इत्यादि असामाजिक गतिविधियों में लिप्त है। ऐसे ब्लैक शीप को वकालत के पेशे को बदनाम करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है।


इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने कहा है कि वकील आफिसर आफ द कोर्ट होता है और कुछ कलंकित वकीलों के कारण इस पेशे को बदनाम नहीं होने दिया जा सकता। कोर्ट ने यह टिप्पणी वकीलों के खिलाफ विचाराधीन मुकदमों को देखते हुए की। कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि कुछ वकीलों का संगठित समूह धन उगाही, मनी लांड्रिंग व ब्लैकमेलिंग इत्यादि असामाजिक गतिविधियों में लिप्त है। ऐसे 'ब्लैक शीप' को वकालत के पेशे को बदनाम करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है।


इसी के साथ कोर्ट ने लखनऊ के पुलिस कमिश्नर से हलफनामा दाखिल कर बताने को कहा है कि शहर में वकीलों के खिलाफ कितने आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं, साथ ही उनका स्टेटस क्या है। यदि उनमें किसी दबाव में फाइनल रिपोर्ट दाखिल कर दी गई है तो उन्हें फिर से खोला जाए और विवेचना आगे बढ़ाई जाए।


हाई कोर्ट ने लखनऊ के जिला जज से भी वकीलों के खिलाफ आपराधिक मुकदमों की संख्या और उनके स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। अगली सुनवाई 13 दिसंबर होगी। यह आदेश जस्टिस राकेश श्रीवास्तव और जस्टिस शमीम अहमद की बेंच ने स्थानीय वकील पीयूष श्रीवास्तव व अन्य की ओर दाखिल एक याचिका पर दिया। याची व उसके साथियों पर निचली अदालत में एक मुकदमे की पैरवी करने पर कुछ वकीलों द्वारा हमला करने का आरोप है।


2017 में सीजेएम से वकीलों की अभद्रता का भी लिया संज्ञान : मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने संज्ञान लिया कि वर्ष 2017 में लखनऊ की तत्कालीन सीजेएम संध्या श्रीवास्तव के साथ भी कुछ वकीलों ने अभद्रता की थी। कोर्ट ने कहा कि यह बेहद खेदजनक स्थिति है कि इस मामले में वर्ष 2017 में ही आरोपपत्र दाखिल हो चुका है, लेकिन अब तक आरोप तय नहीं हो सके हैं। साथ ही कोर्ट ने जिला जज लखनऊ को यह भी बताने को कहा है कि क्या उक्त मामले में तत्कालीन सीजेएम ने अदालत की अवमानना का कोई संदर्भ हाई कोर्ट के संज्ञान के लिए भेजा था। सुनवाई के दौरान डीसीपी पश्चिमी सोमेन वर्मा ने एक पूरक शपथ पत्र दाखिल करते हुए बताया कि याची के मामले में शामिल अधिवक्ताओं ने एलडीए द्वारा निर्मित एक कम्युनिटी सेंटर को भी गिरा दिया था व चार अक्टूबर, 2021 को उनके खिलाफ एफआइआर भी दर्ज की गई, लेकिन गिरफ्तारी नहीं की जा सकी है। वहीं, एक महिला द्वारा एससी-एसटी एक्ट के तहत दर्ज कराए गए एफआइआर में भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। साथ ही कुछ वकीलों ने कुशीनगर से आए पुलिसकर्मियों से अभद्रता भी की थी, जिसके बाद कोर्ट ने इन सभी मामलों में हुई कार्रवाई का ब्योरा तलब किया है।

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