अंबेडकरनगर। देश के नवरत्नों में शामिल एनटीपीसी के टांडा बिजलीघर में उत्पादन पूरी तरह ठप पड़ गया है। फेज-वन के बाद अब फेज-टू की दोनों इकाइयों से भी उत्पादन रुक गया है। सूत्रों के अनुसार एक दशक से भी अधिक समय में यह स्थिति पहली बार उत्पन्न हुई है। समूचे बिजलीघर से उत्पादन ठप पड़ जाने को लेकर इस बीच एनटीपीसी अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच भी अनिश्चितता का माहौल देखने को मिल रहा है।
बीते दिनों जब समूचे देश में कोयले के संकट का दौर चल रहा था तो उससे अंबेडकरनगर भी अछूता नहीं था। यहां कोयले की कमी के चलते फेज-वन की दो इकाइयों में सबसे पहले उत्पादन ठप कर देना पड़ा। दो दिन बाद ही दो अन्य इकाइयों से भी उत्पादन रुक गया। ऐसे में नतीजा यह हुआ कि फेज-वन की सभी चार इकाइयों से कुल 440 मेगावॉट बिजली का उत्पादन ठप हो गया। ये चारों इकाइयां महीने भर से ठप चली आ रही हैं।
उधर जब फेज-वन के लिए कोयले का संकट भारी पड़ रहा था तो उसका असर फेज-टू की नई यूनिट पर भी साफ दिख रहा था। 660-660 मेगावॉट क्षमता की दो इकाइयों से बिजली का उत्पादन 1360 मेगावॉट की तुलना में 750 मेगावॉट तक रह गया था। एनटीपीसी की स्थानीय टीम के अधिकारियों और कर्मचारियों की कार्य दक्षता ने हालांकि बाद में उत्पादन को एक हजार मेगावॉट तक पहुंचाया।
इस बीच अब एनटीपीसी टांडा बिजलीघर के लिए बड़ी मुश्किल की घड़ी आ गई है। यहां फेज-टू की दोनों इकाइयों से भी उत्पादन ठप पड़ गया है। ऐसे में फेज-वन और फेज-टू को मिलाकर 1760 मेगावॉट क्षमता के टांडा प्लांट से अब बिजली का उत्पादन रोक देना पड़ा है। सूत्रों के अनुसार लगभग एक दशक से भी लंबे समय मे यह स्थिति पहली बार आयी है जब समूचे बिजलीघर से उत्पादन ठप पड़ गया है।
इसके लिए जहां कोयला संकट की खबर आ रही है तो वहीं एनटीपीसी अधिकारियों के अनुसार कोयले की कोई कमी नहीं है। पर्याप्त स्टॉक मौजूद है। डिमांड न होने की वजह से रिजर्व शटडाउन किया गया है। जैसे ही पॉवर कारपोरेशन की तरफ से डिमांड आएगी तो पहले 660 मेगावॉट क्षमता की एक इकाई से उत्पादन शुरू कर दिया जाएगा।
टांडा बिजलीघर में 7 नवंबर से ही उत्पादन ठप पड़ा है। 7 नवंबर की सुबह फेज-टू की दोनों इकाइयों से बिजली का उत्पादन रोक दिया गया जबकि फेज-वन की सभी चार इकाइयों से उत्पादन पहले से ही ठप है। कर्मचारियों को उम्मीद थी कि शायद अगले दिन 8 नवंबर को उत्पादन शुरू हो सकेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मंगलवार को तीसरे दिन शाम तक कोई भी इकाई चलने की स्थिति नहीं बन सकी।
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